प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में उल्लिखित 'यवनप्रिया' शब्द का क्या मतलब है?

RAJAN
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प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में उल्लिखित 'यवनप्रिया' शब्द का क्या मतलब है?



प्राचीन संस्कृति ग्रन्थों में उल्लेखित यवनप्रिया शब्द का अर्थ काली मिर्च है, प्राचीन समय में रोमन साम्राज्य भारत से मसाले का निर्यात करते थे। भारत से सभी प्रकार के मसाले निम्न मूल्य पर खरीद कर अपने साम्राज्य में उच्च मूल्य पर बेचा करते थे। इन सभी मसालों में काली मिर्च भी एक थी। काली मिर्च यवनों अर्थात रोमन की पसंदीदा मसाला थी, यमुनों को काली मिर्ची बहुत अधिक पसंद थी इसलिए काली मिर्च को यवन प्रिया कहा गया। यवनप्रिया का अर्थ है यवनों का पसंद होना।

काली मिर्च, जिसे यवनप्रिय के नाम से भी जाना जाता है, भारत से रोमन साम्राज्य को निर्यात किए जाने वाले मसालों में से एक थी। यह संभवतः रोमनों के बीच इसकी लोकप्रियता के कारण था। मसालों के अलावा, रोमन लोग हीरे, कार्नेलियन, फ़िरोज़ा, एगेट, नीलम आदि जैसे कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों का आयात करते थे।

प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में यवनप्रिया का अर्थ है

यवनप्रिया काली मिर्च का नाम था। यह रोमनों के लिए लाए जाने वाले मसालों में से एक था। काली मिर्च, जिसे यवनप्रिया के नाम से भी जाना जाता है, रोमनों के बीच एक लोकप्रिय मसाला था। मसाले रोमनों की प्राथमिक ज़रूरत थे, साथ ही इत्र, गहने, हाथीदांत और मलमल जैसे बढ़िया कपड़े भी। दक्षिण भारत रोमन साम्राज्य के साथ मसाला व्यापार पर हावी था।

काली मिर्च भारतीय रसोई का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे प्राचीन भारत से यूनानी व्यापारियों द्वारा आयात किया जाता था। प्राचीन काल में मध्य एशिया के लोगों को भारत में “यवन” के नाम से जाना जाता था।

• ये लोग काली मिर्च को बहुत पसंद करते थे और हर बार बड़ी मात्रा में इसका आयात करते थे।

• उस समय भारत मसालों के लिए प्रसिद्ध था।

• इसीलिए वे भारत से खरीदारी करते थे।

• इसी कारण काली मिर्च का नाम यवन अर्थात विदेशी लोग तथा प्रिय अर्थात पसंद के कारण पड़ा; इस प्रकार कुल मिलाकर काली मिर्च को यवनप्रिय कहा जाने लगा ।

भारत से रोमन साम्राज्य की ओर निर्यात किए जाने वाले मसाले में से काली मिर्च एक थी, जो उस साम्राज्य की सबसे पसंदीदा मसाले में से एक थी इस कारण से काली मिर्च को यवनप्रिया कहा गया है।

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