अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण – Alankar in Hindi
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अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण – Alankar in Hindi

अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण – Alankar in Hindi

अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण – Alankar in Hindi



हिंदी भाषा अन्य किसी भाषा से अधिक समृद्ध मानी जाती है। इसमें विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए शब्दों का अथाह भंडार है। साथ ही अभिव्यक्ति के लिए बहुत से तरीके भी है। अभिव्यक्ति को भाषा की सहायता से और बेहतर बनाने और उसे समझाने के लिए हिंदी व्याकरण में बहुत से घटक होते हैं, जिनमें से एक है- अलंकार / Alankaar । अलंकार का भाषा में अपना अलग ही महत्व होता है। इस लेख के माध्यम से हम अलंकार के बारे में पढ़ेंगे। अलंकार क्या होते हैं (Alankar Kise Kehte Hai) और इस के कितने प्रकार होते हैं? ये सब हम इस लेख के जरिये उदाहरण सहित समझेंगे।

अलंकार की परिभाषा

अलंकार की परिभाषा हम संस्कृत के विद्वानों द्वारा बताएं तो – ‘अलंकरोति इतिः अलंकारः’ अर्थात जो अलंकृत करे या किसी रचना की शोभा बढ़ाये या काव्य की सुंदरता बढ़ाये उसे अलंकार कहते हैं।

अलंकार के प्रकार

अलंकार (Alankar) कुल चार प्रकार के होते हैं। जिनमें से हम मुख्य रूप से पहले दो प्रकारों के बारे में ही जानेंगे। जिनका बहुतायत में प्रयोग होता है। जिसे आप निम्नलिखित पढ़ सकते हैं –

• शब्दालंकार
• अर्थालंकार
• उभयालंकार
• पाश्चात्य अलंकार

1 – शब्दालंकार

वो अलंकार जो काव्य को शब्दों के माध्यम से सजाते हैं उन्हें शब्दालंकार के रूप में जाना जाता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं की यदि किसी विशेष शब्द के उपयोग से ही उस काव्य या रचना में सौंदर्य आ जाये लेकिन उसी स्थान पर उसके पर्यायवाची के उपयोग से लुप्त हो जाए, तो इसे शब्दालंकार कहते हैं।

शब्दालंकार के भेद : शब्दालंकार मुख्य रूप से तीन प्रकार के हैं

• अनुप्रास अलंकार
• यमक अलंकार
• श्लेष अलंकार

अनुप्रास अलंकार

अनुप्रास अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास। इसमें अनु का मतलब होता है बार-बार और प्रास का अर्थ होता है वर्ण। अर्थात जब किसी की वर्ण की बार-बार आवृति से चमत्कार उत्पन्न होता है तो वो अनुप्रास अलंकार कहलाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो किसी वर्ण विशेष की आवृत्ति से वाक्य की सुन्दरता बढ़ जाए तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।

अनुप्रास अलंकार उदाहरण :

• चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में। (इसमें च वर्ण की आवृति से वाक्य की सुंदरता बढ़ रही है।)

• कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है। (इसमें क वर्ण की आवृत्ति देखी जा सकती है)

यमक अलंकार

यमक अलंकार में काव्य रचना में कोई शब्द या शब्द समूह का प्रयोग बार-बार हो और प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न हो, तो उसे यमक अलंकार कहते हैं।

यमक अलंकार उदाहरण :

• कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।।
यहाँ कनक शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार हुआ है। इसमें पहले कनक का अर्थ धतूरे से है और दूसरे का अर्थ स्वर्ण से।

• माला फेरत जग गया, फिरा न मनका फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।
जैसे की उक्त पद्य में मनका अर्थ माला और भावनाओं से है, एक ही शब्द के 2 बार प्रयोग हो रहा है और दोनों में अर्थ अलग-अलग है।

श्लेष अलंकार

श्लेष अलंकार की पहचान होती है जहाँ रचना के किसी वाक्य में एक ही शब्द के अनेक अर्थ निकलते हैं। जैसे कि –

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून
पानी गए न ऊबरे मोई मानस चून।
यहाँ पानी शब्द का उपयोग हुआ है, जिसके तीन अलग-अलग अर्थ निकलते हैं। जैसे कि – ’कान्ति’, ‘आत्मसम्मान’ और ‘जल’

2 – अर्थालंकार और उसके प्रकार

जब किसी वाक्य में सौंदर्य उसके शब्दों से नहीं बल्कि उसके अर्थ से आता हो, उसे अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकार कई प्रकार के होते हैं लेकिन हम मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले 5 प्रकार को ही पढ़ेंगे।

• उपमा अलंकार
• रूपक अलंकार
• उत्प्रेक्षा अलंकार
• अतिशयोक्ति अलंकार
• मानवीकरण अलंकार

उपमा अलंकार

जब सामान धर्म के आधार पर विभिन्न वस्तुओं की तुलना की जाती है, वहां उपमा अलंकार का प्रयोग होता है। तुलन करने के लिए सा, सी, से, जैसे- सम आदि शब्दों का प्रयोग होता है वहां उपमा अलंकार होता है।

• कर कमल-सा कोमल है
यहाँ कमल के सामान कोमल हाथों की बात की जा रही है। हाथ कमल के सामान कोमल हैं।

रूपक अलंकार

रूपक शब्द का अर्थ होता है एकता। यहाँ दो वस्तुओं (या उपमेय और उपमान) के मध्य का भेद खत्म करना है। इसे रूपक अलंकार कहते हैं।

• मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों
यहाँ पर खिलौना और चाँद में किसी प्रकार की समानता न दिखाते हुए चंद्र को ही खिलौना बता दिया गया है। यानी एक ही बताया गया है।

उत्प्रेक्षा अलंकार

यहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन किया जाता है, जिसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहते हैं। यहाँ मानो, जानो, जनु, मनहु, जानते, निश्चय आदि शब्दों का उपयोग होता है।

• उसका मुख मानो चन्द्रमा है।
यहाँ मुख के चन्द्रमा होने की सम्भवना का वर्णन है।

अतिशयोक्ति अलंकार

जब किसी की प्रशंसा करते समय बात को इतना बढ़ा चढ़ा कर बोला जाए जो सम्भव नहीं है, वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार का उपयोग होगा।

• हनुमान की पूँछ में, लग न पायी आग।
     लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
यहाँ बढ़ा चढ़कर बता रहे हैं कि हनुमान जी कि पूँछ में आग भी नहीं लगी कि इससे पहले ही सारी लंका जल गयी और राक्षस भाग गए। जबकि ऐसा सम्भव नहीं है क्योंकि बिना उनके पूँछ में आग लगे लंका नहीं जल सकती थी।

मानवीकरण अलंकार

जहाँ पर प्राकृतिक चीजें या फिर जड़ वस्तुओं को मानव जैसा सजीव वर्णन कर दें। या जब उन पर मानवीय जैसी चेष्ठा का आरोप किया जाए। वहां मानवीकरण अलंकार होगा।

• फूल हँसे कलियाँ मुस्कुराई। 
यहाँ बताया गया है की फूल हंस रहे हैं और कलियाँ मुस्करा रही हैं। यानी जैसे मानव हँसते हैं वैसे ही फूल जो प्रकृति का रूप है वो है और मुस्करा रहे हैं।


हमें आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा और आपके लिए यह उपयोगी साबित होगा। अगर आप एक विद्यार्थी है तो यह लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में या फिर अगर आप 10वीं या 12वीं कक्षा के छात्र है तो आपकी बोर्ड की परीक्षाओं में यहां से 5 या 10 नंबर का प्रश्न अवश्य पूछा जाएगा। आपको यह लेख अच्छा लगता है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें जिससे उन्हें भी सरल तरीके से अलंकार के बारे में सभी जानकारी प्राप्त हो सके.।

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